मंगलवार, 7 फ़रवरी 2012

अल्लाह देखो मेहेरबां है

मेहेरबां है मेहेरबां है                                     
Thorns : Rose thorn अल्लाह देखो मेहेरबां है
यह धूप भी उजली सी  छांह है
अल्लाह देखो...
मेहेरबां है...


रातें देखो ढल रही हैं

उम्मीद की लौ जल रही हैं
रोशन ही रोशन अब जहाँ है
अल्लाह देखो मेहेरबां है...

बोया है हमने फूल तब ही
पाई है खुशबू यहाँ
कांटे कांटे बस लहू है
ज़ख़्मी खुदा की आरज़ू है
अम्न का मौसम कहाँ है
अल्लाह फिर भी मेहेरबां है...

पर कटे हैं पंछियों के
हौसले उड़ते कहाँ हैं
आज़ादियाँ हैं सब कफ़स में
क्यूँ परिंदे बेआस्मां हैं
अल्लाह फिर भी मेहेरबां है...

हमने क्या खोया है देखो
हमने क्या पाया यहाँ
उम्र दे दी ज़िन्दगी को
नूर ऐ खुदा पाया कहाँ
काटे तोड़े फेंके मोड़े
हमने कितने रिश्ते छोड़े
जितने दिल बदले हैं हमने
उतनी लाशें हैं यहाँ
मेहेरबां है मेहेरबां
अल्लाह देखो मेहेरबां...

धूप सर पर आ गिरी
आसमाँ फट कर गिरा है
पेड़ खुद गिरने लगे हैं
नदियाँ बहती अब कहाँ हैं
मेहेरबां है मेहेरबां
अल्लाह फिर भी मेहेरबां है...

यह आख़िरी हरकत न हो
घर खुदा के बरकत न हो
धरती कफ़न में ढक न जाए
रिश्ते लहू के कट न जायें
इंसान हैं हम किस तरह के
अपने किये पर अब लजाएं

आओ उगायें कोपलें कुछ
नन्हे उजाले खिलखिलाएं
गर्दने काटें नहीं अब
गर्दनें उस दर झुकाएं
रूठे खुदा को चल मनाएं
दिवार सरहद की गिराएं
मंदिरों में भी खुदा है
मस्जिदों को चल बताएं

खोते रहे हैं सदियों से हम
आओ... अब हम कुछ तो पाएं...


मेहेरबां है मेहेरबां है
अल्लाह देखो मेहेरबां है .


                       - देव .









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