वो मेरा हो न सका पर मेरा हमसाया है,
मैंने खोके भी हर इक राह उसे पाया है।
उसकी आँखों में वफाओं का निशाँ तक भी नहीं,
बेवफा है वो मगर मुझ पे वही छाया है।
जो भी मिलता है मुझे वो ही बिछड़ जाता है,
मुझपे किस्मत ने हमेशा ये सितम ढाया है।
मुझको तन्हाई से बढ़कर कोई हमदम न मिला,
इसने बस प्यार किया औरों ने ठुकराया है।
दिले ग़मगीं में भी वो बनके खुशी रहता है,
उसे खोने में भी पाने का मज़ा आया है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें