सत और असत ,
ब्रह्म और माया ,
दो वृत्तियाँ व्याप्त हैं ब्रह्माण्ड में .
निर्भर है इन्हीं पर
अस्तित्व सभी का .
सत - कालजयी ,
असत - कालक्षयी .
सत - सतत जीवन परिपूर्ण ,
असत - जीवन शक्ति अपूर्ण .
सत - सत्यमेव जयते ,
असत - काल पराजित , क्षयी .
सत - अगोचर अस्तित्व ,
असत - गोचर अस्तित्व .
जीव - सत असत विनिर्मित पिंड .
जीव का अस्तित्व - असत के क्षय काल तक .
सत का अस्तित्व - ब्रह्म में समाविष्य होने तक
अथवा
पुनः जीव के अस्तित्व में आने तक .
- ललित मोहन पांडे .
ब्रह्म और माया ,
दो वृत्तियाँ व्याप्त हैं ब्रह्माण्ड में .
निर्भर है इन्हीं पर
अस्तित्व सभी का .
सत - कालजयी ,
असत - कालक्षयी .
सत - सतत जीवन परिपूर्ण ,
असत - जीवन शक्ति अपूर्ण .
सत - सत्यमेव जयते ,
असत - काल पराजित , क्षयी .
सत - अगोचर अस्तित्व ,
असत - गोचर अस्तित्व .
जीव - सत असत विनिर्मित पिंड .
जीव का अस्तित्व - असत के क्षय काल तक .
सत का अस्तित्व - ब्रह्म में समाविष्य होने तक
अथवा
पुनः जीव के अस्तित्व में आने तक .
- ललित मोहन पांडे .
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