अपने वजूद के कुछ टुकड़े
मुझे भी दिखाई देते है
दरवाज़े में टंगे name plate में,
उन फूल पत्तियों के बीच
खूबसूरती से उकेरे नाम में,
देर से आने पर
तुम्हारी मीठी सी उलाहना में...
आखिर बच्चो के
व्यव्हार,
प्रदर्शन
में भी तो शामिल है मेरा वजूद.
घर के अन्दर
बिखरी हर चीज़ में ढूंढ़ लेती हूँ
अपना वजूद...
और तह कर के रख देती हूँ
ताकि समय पर
तुम दिखा सको मुझको मेरा वजूद
- राजलक्ष्मी शर्मा .
चिरंतन - अस्तित्व / I Am .
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