मुख़्तसर को मुख़्तसर करते हुए
दायरे में सब सफ़र करते हुए .
हम हुआ ही चाहते थे माहताब
इक इबादत रात भर करते हुए .
तय किया चेहरों से आगे का सफ़र
आइनों को दरगुज़र करते हुए .
अपनी मंजिल तक पहुंचना है मुझे
हर दवा को बेअसर करते हुए .
आ गए अपने ही दिल के आस-पास
हम तेरी जानिब सफ़र करते हुए .
यूँ नहीं पढ़ते किताबे-ज़िन्दगी
आंसुओं से तर-ब-तर करते हुए .
हो गए ना-मातबर हम एक दिन
हर किसी को मातबर करते हुए .
- नोमान शौक़
दायरे में सब सफ़र करते हुए .
हम हुआ ही चाहते थे माहताब
इक इबादत रात भर करते हुए .
तय किया चेहरों से आगे का सफ़र
आइनों को दरगुज़र करते हुए .
अपनी मंजिल तक पहुंचना है मुझे
हर दवा को बेअसर करते हुए .
आ गए अपने ही दिल के आस-पास
हम तेरी जानिब सफ़र करते हुए .
यूँ नहीं पढ़ते किताबे-ज़िन्दगी
आंसुओं से तर-ब-तर करते हुए .
हो गए ना-मातबर हम एक दिन
हर किसी को मातबर करते हुए .
- नोमान शौक़
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