१
वेद व्यास की तरह
यदि मैं भी मांगूं -
यदि मैं भी मांगूं -
कागज़ के रूप में धरती
कलम के रूप में शेषनाग
तो वह अधूरा ख़त पूरा करूं
जिसके अक्षर-अक्षर अर्थ-
को तुम, जानते तो हो-
पर बाँचते नहीं...!
२
मेरी आस्था में उद्वेग
तुम्हारी आस्था प्रशांत
तुम्हारी धरती सी खामोश
मेरी में मुखर-मौन
तुम दोगे मुझे एक
दिव्यतम कल्पना
जो ले जाएगी मुझे
अनन्यतम भावलोक तक .
- दिनेश द्विवेदी .
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