रविवार, 29 अप्रैल 2012

मेरे गुनाह मुझे आदमी बनाते हैं .


खुदा मुआफ करे ज़िन्दगी बनाते हैं
मेरे गुनाह मुझे आदमी बनाते हैं .



हवस है सारे जहानों पे हुक्मरानी की
वो सिर्फ चाँद नहीं , रात भी बनाते हैं .


तबाह कर तो दूं ज़ाहिरपरस्त दुनिया को
ये आइने भी मेरे लोग ही बनाते हैं .


मैं शुक्रिया अदा करता हूँ सब रकीबों का 
यही अँधेरे मुझे रौशनी बनाते हैं .


मैं आसमान बनाता हूँ मेरी बात करो 
यहाँ तो चाँद सितारे सभी बनाते हैं .

                - नोमान शौक . 

कोई टिप्पणी नहीं:

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...