चाहे जिस आस पर करो पूरा
फासला उम्र भर करो पूरा .
दिन में तोड़ो पुराने ख्वाबों को
फिर उन्हें रात भर करो पूरा .
कभी मिटटी के घर फ़ना कर दो
कभी उजड़ा शहर करो पूरा .
कितनी रस्में हैं ज़िंदा रहने की
टूट जाओ मगर करो पूरा .
कोई भी साथ क्यों किसी का दे
अपना अपना सफ़र करो पूरा .
- मीता .
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