सोमवार, 2 अप्रैल 2012

करो पूरा .

चाहे जिस आस पर करो पूरा             
फासला उम्र भर करो पूरा .

दिन में तोड़ो पुराने ख्वाबों को  
फिर उन्हें रात भर करो पूरा .

कभी मिटटी के घर फ़ना कर दो 
कभी उजड़ा शहर करो पूरा .

कितनी रस्में हैं ज़िंदा रहने की 
टूट जाओ मगर करो पूरा .

कोई भी साथ क्यों किसी का दे 
अपना अपना सफ़र करो पूरा .

                 - मीता .

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