सोमवार, 2 अप्रैल 2012

पाथेय

जब कभी मैं नहीं रहूँगा                               
तुम्हारे करीब, तब तुम्हारी 
निचाट सूनी, बियाबान यात्रा 
के अँधेरे को रौशन 
करेंगी ये कवितायेँ -
एकाकी- एकान्तिक यात्रा में 
मेरे ये शब्द -
तुम्हारे पाथेय बनेंगे .


             - दिनेश द्विवेदी .

कोई टिप्पणी नहीं:

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...