आज फिर शुरू हुआ जीवन .
आज मैंने एक छोटी सी ,सरल सी कविता पढ़ी ,
आज मैंने सूरज को डूबते देर तक देखा ,
आज एक छोटी सी बच्ची किलक मेरे कंधे चढ़ी .
आज मैंने आदि से अंत तक एक पूरा गान किया .
आज फिर जीवन शुरू हुआ .
सोमवार, 2 अप्रैल 2012
कठिन है राहगुज़र ...
सरगम के अंतर्गत प्रस्तुत है अहमद फ़राज़ जी की ये खूबसूरत ग़ज़ल, ग़ुलाम अली जी की आवाज़ में -
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