जिस्म दर जिस्म
रूह का सफ़र जारी है...
तुम्हे भी याद तो होगा
वो सातवें पहाड़ की गोदी में
जहाँ तुमने और मैंने
अपने जिस्मों का खोल छोड़कर
एक ही मोहब्बत का पैराहन
नोश किया था...
मैंने सूरज की नब्ज़ छांटकर
तेरी मांग में सिन्दूरी शाम भरी थी
और उसी पहाड़ के पीठ पीछे
बर्फ की सर्द गर्म साँसों पर
जिस्म का इंधन जला के तापा था
एक दुसरे से
ऐसे लिपटे हुए थे हम
जैसे के सांस लिपटी हो सीने में
जैसे गुथ गए थे
शाम ओ सहर आपस में
दो जिस्मों ने
दो रूहों के मिल जाने का
सौदा सनद किया था...
जानाँ...
मुझे यकीं है
जिस्म दर जिस्म
यह रूह चलती रहेगी
बेहद से अनहद की ओर
हर सात जनम में
हर रोज़ वहीँ पर
उस सातवें पहाड़ की गोदी में
...मैं...
तुमसे मिलने आऊंगा...
जिस्म रुकेंगे सफ़र में... लेकिन
रूह बना मैं चलता जाऊंगा...
जब कोई फ़लक न होगा
अपने सर पर
ज़मीन बह चुकी होगी
जब दर्द-दवा फिरदौस क़ज़ा
कुछ भी न कहीं होगा
आफ़ताब का नूर नुमायाँ होगा
चाँद की शफ्फाफ़ समतल हथेली पर
हम तुम दोनों मिल जाएँगे...
रूह से रूह मिलेगी जब
सफ़र ये अंजाम को पहुंचेगा
सातवें पहाड़ की गोदी में
एक सूरज फिर तुलु होगा...
रूह का सफ़र है...
सफ़र ये जारी है...
- देव .
रूह का सफ़र जारी है...
तुम्हे भी याद तो होगा
वो सातवें पहाड़ की गोदी में
जहाँ तुमने और मैंने
अपने जिस्मों का खोल छोड़कर
एक ही मोहब्बत का पैराहन
नोश किया था...
मैंने सूरज की नब्ज़ छांटकर
तेरी मांग में सिन्दूरी शाम भरी थी
और उसी पहाड़ के पीठ पीछे
बर्फ की सर्द गर्म साँसों पर
जिस्म का इंधन जला के तापा था
एक दुसरे से
ऐसे लिपटे हुए थे हम
जैसे के सांस लिपटी हो सीने में
जैसे गुथ गए थे
शाम ओ सहर आपस में
दो जिस्मों ने
दो रूहों के मिल जाने का
सौदा सनद किया था...
जानाँ...
मुझे यकीं है
जिस्म दर जिस्म
यह रूह चलती रहेगी
बेहद से अनहद की ओर
हर सात जनम में
हर रोज़ वहीँ पर
उस सातवें पहाड़ की गोदी में
...मैं...
तुमसे मिलने आऊंगा...
जिस्म रुकेंगे सफ़र में... लेकिन
रूह बना मैं चलता जाऊंगा...
जब कोई फ़लक न होगा
अपने सर पर
ज़मीन बह चुकी होगी
जब दर्द-दवा फिरदौस क़ज़ा
कुछ भी न कहीं होगा
आफ़ताब का नूर नुमायाँ होगा
चाँद की शफ्फाफ़ समतल हथेली पर
हम तुम दोनों मिल जाएँगे...
रूह से रूह मिलेगी जब
सफ़र ये अंजाम को पहुंचेगा
सातवें पहाड़ की गोदी में
एक सूरज फिर तुलु होगा...
रूह का सफ़र है...
सफ़र ये जारी है...
- देव .
1 टिप्पणी:
मुझे बहुत अच्छा लगा ......रूह का सफर निरंतर और चिरंतन जारी रहे
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