सोमवार, 28 मई 2012

नयी शुरुआत ...


रेशम सी फिसलती ज़िन्दगी
चल मोतियों सी  बात करें
नन्हे ख्वाब उगायें हथेली पर
नींदों को  सौगात करें
         चल एक नयी शुरुवात करें


कुछ किस्सों की सीवन उधेड़े
कुछ की करें मरम्मत
कुछ छोड़ दे मुफलिस से
कुछ नयों से मुलाक़ात करें
           चल एक नयी शुरुवात करें


रोज तो तय होती है मंजिलें
कितने क़दम और कितने मोड़
याद है पहाड़ों(table) की तरह
आज बिना सोचे सफरात करें
            चल एक नयी शुरुवात करें


अभी अभी सोयी है इक नज़्म
थक सूरज की बांहों में
आज रात  चाँद को दूल्हा
और तारों की बारात करें
             चल एक नयी शुरुवात करें


                  - राजलक्ष्मी शर्मा.

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