आज फिर शुरू हुआ जीवन .
आज मैंने एक छोटी सी ,सरल सी कविता पढ़ी ,
आज मैंने सूरज को डूबते देर तक देखा ,
आज एक छोटी सी बच्ची किलक मेरे कंधे चढ़ी .
आज मैंने आदि से अंत तक एक पूरा गान किया .
आज फिर जीवन शुरू हुआ .
सोमवार, 14 मई 2012
'जिस मोड़ पर किये थे हमने करार बरसों'
सरगम में चित्रा सिंह जी की मीठी आवाज़ में प्रस्तुत है
ये खूबसूरत और थोड़ी उदास सी ग़ज़ल जिसे लिखा है
सुदर्शन फाकिर जी ने...
आइये सुनते हैं 'जिस मोड़ पर किये थे हमने करार बरसों'
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