आज फिर शुरू हुआ जीवन .
आज मैंने एक छोटी सी ,सरल सी कविता पढ़ी ,
आज मैंने सूरज को डूबते देर तक देखा ,
आज एक छोटी सी बच्ची किलक मेरे कंधे चढ़ी .
आज मैंने आदि से अंत तक एक पूरा गान किया .
आज फिर जीवन शुरू हुआ .
सोमवार, 28 मई 2012
वहां से ...
जहाँ तुम सब ख़तम कर के चले गए थे वहां से ... यहाँ तक मैंने खुद को बनाया है फिर से . और अब तुम कहते हो साथ चलो . सुनो मैं एक शुरुआत कर चुकी हूँ , तुम भी उसी शून्य से शुरू करो .
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