सोमवार, 28 मई 2012

आज फिर जीवन शुरू हुआ ।



आज फिर शुरू हुआ जीवन

आज मैंने एक छोटी-सी सरल-सी कविता पढ़ी
आज मैंने सूरज को डूबते देर तक देखा
जी भर आज मैंने शीतल जल से स्नान किया

आज एक छोटी-सी बच्ची आई,
किलक मेरे कन्धे चढ़ी
आज मैंने आदि से अन्त तक पूरा गान किया

आज फिर जीवन शुरू हुआ ।


           - रघुवीर सहाय.

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