आज फिर शुरू हुआ जीवन .
आज मैंने एक छोटी सी ,सरल सी कविता पढ़ी ,
आज मैंने सूरज को डूबते देर तक देखा ,
आज एक छोटी सी बच्ची किलक मेरे कंधे चढ़ी .
आज मैंने आदि से अंत तक एक पूरा गान किया .
आज फिर जीवन शुरू हुआ .
गुरुवार, 7 जून 2012
ऐ खुदा रेत के सेहरा को समंदर कर दे .
आज हम आप के लिए लाये हैं एक गहरी और दिल छू लेने वाली ग़ज़ल जगजीत सिंह जी की आवाज़ में - ऐ खुदा रेत के सेहरा को समंदर कर दे .
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें