सोमवार, 25 जून 2012

देह यह ...



किस तरह खोजोगे तुम 
मेरी देह प्रस्तर के 
दुर्भेद्य दुर्ग में छिपे 
रहस्यमय तिलिस्म को 
क्योंकि तुम्हारी 
ओछी-उथली 
छिछली-छिछोरी 
दृष्टि को चाहिए होगा 
कृष्ण प्रदत्त, किसी-
दिव्य दृष्टि का 
अनुपम-प्रसाद 
वरना 
निरर्थक होगी 
तुम्हारी यह 
खण्डहरी 
देह यात्रा .


      - दिनेश द्विवेदी.

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