देह यह ...
किस तरह खोजोगे तुम
मेरी देह प्रस्तर के
दुर्भेद्य दुर्ग में छिपे
रहस्यमय तिलिस्म को
क्योंकि तुम्हारी
ओछी-उथली
छिछली-छिछोरी
दृष्टि को चाहिए होगा
कृष्ण प्रदत्त, किसी-
दिव्य दृष्टि का
अनुपम-प्रसाद
वरना
निरर्थक होगी
तुम्हारी यह
खण्डहरी
देह यात्रा .
- दिनेश द्विवेदी.
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