आज फिर शुरू हुआ जीवन .
आज मैंने एक छोटी सी ,सरल सी कविता पढ़ी ,
आज मैंने सूरज को डूबते देर तक देखा ,
आज एक छोटी सी बच्ची किलक मेरे कंधे चढ़ी .
आज मैंने आदि से अंत तक एक पूरा गान किया .
आज फिर जीवन शुरू हुआ .
सोमवार, 6 अगस्त 2012
तुम... नींद सी
तुम नींद सी रोज़ आती हो मेरे आस पास मेरा माथा सहलाते झुकी पलकों उलझी अलकों के साथ और मैं लगभग रोज़ ही जागता रह जाता हूँ पूरी रात . - अमित आनंद पाण्डेय .
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