सोमवार, 20 अगस्त 2012

रिश्ता ...


मुझे 
तुम चुप ही रहने दो 
अच्छा है, मैं कुछ न कहूं 
और तुम वो सुन लो 
जो तुम सुनना चाहते हो .

वैसे भी 
अब क्या कहना, और क्या सुनना 
जब मैंने कहा था 
तब तुमने कुछ भी सुना नहीं ... 
तुम्हारे जेहन में शोर बहुत था शायद 
और अब 
जब सुनना चाहते हो तुम 
मेरे जेहन में सन्नाटा सा पसर गया है ...

हमारे बीच 
ख़ामोशी का एक रिश्ता बाकी है 
मुझे पूरी शिद्दत से उसे निभाने दो .

        - स्कन्द .

1 टिप्पणी:

DR.ANUJA BHATT ने कहा…

bahut sunder kavita hei.ekda dil ey kareb.

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...