आज फिर शुरू हुआ जीवन .
आज मैंने एक छोटी सी ,सरल सी कविता पढ़ी ,
आज मैंने सूरज को डूबते देर तक देखा ,
आज एक छोटी सी बच्ची किलक मेरे कंधे चढ़ी .
आज मैंने आदि से अंत तक एक पूरा गान किया .
आज फिर जीवन शुरू हुआ .
मंगलवार, 21 अगस्त 2012
मुंह की बात सुने हर कोई ...
सरगम में आज आप के लिए लाये हैं निदा फाजली जी की लिखी और जगजीत सिंह जी की गाई ये दिल छू लेने वाली ग़ज़ल -
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