मंगलवार, 4 सितंबर 2012

पग डंडियाँ ...



खुशियों के ...
सारे बड़े रास्तों पर 
पहरा था ना तुम्हारा
देखो मैंने 
छोटी छोटी पगडंडियाँ  
बना ली 
उन  तक पहुचने की .

- राजलक्ष्मी शर्मा .

2 टिप्‍पणियां:

नादिर खान ने कहा…

छोटी छोटी पगडंडियों से तय होते बड़े रास्ते
क्या बात है बहुत खूब ।

नादिर खान ने कहा…

छोटी छोटी पगडंडियों से तय होता लंबा सफर
क्या बात है बहुत खूब ।

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