रास्ते उन के - मंजिलों का पास हो जिनको ...
रास्ते उन के - जो गिनते हों मील के पत्थर ...
रास्ते उन के - जिन्हें इसकी ख़बर होती हो
शहर की कौन सी गली में है उनका घर .
जिन्हें जुनूं हो भटकने का, यों ही शाम ओ सहर ...
जिन्हें उनके कदम ले जाते हों क्या जाने कहाँ ...
जिन्हें मंजिल से भी ज्यादा हसीं लगता हो सफ़र,
उन चंद सरफिरों के वास्ते - पगडंडियाँ .
- मीता .
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें