मंगलवार, 4 सितंबर 2012

पगडंडियाँ .


रास्ते उन के - मंजिलों का पास हो जिनको ... 
रास्ते उन के - जो गिनते हों मील के पत्थर ...
रास्ते उन के - जिन्हें इसकी ख़बर होती हो 
शहर की कौन सी गली में है उनका घर .

जिन्हें जुनूं हो भटकने का, यों ही शाम ओ सहर ...
जिन्हें उनके कदम ले जाते हों क्या जाने कहाँ ...
जिन्हें मंजिल से भी ज्यादा हसीं लगता हो सफ़र,
उन चंद सरफिरों के वास्ते - पगडंडियाँ .

              - मीता .

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