मंगलवार, 4 सितंबर 2012

कितनी प्यारी प्यारी है ये मेरे खेत की पगडंडी.....



खुशियों तक ले आती है ये मेरे खेत की पगडंडी।
कितनी प्यारी प्यारी है ये मेरे खेत की पगडंडी,

मेन सड़क से थोड़ा हटके, वहीं नहर से पीछे को।
जहाँ मील का पत्थर दायें वहीं से मुड़कर आगे को।
आ जाओ तो पाओगे ये मेरे खेत की पगडंडी,
कितनी प्यारी प्यारी है ये मेरे खेत की पगडंडी।

घास लगी है हरी औ कोमल और किनारे पानी है।
गेंहूँ गन्ने और धान की घनी फसल लहराती है,
मेरे दिल को भाती है ये मेरे खेत की पगडंडी,
कितनी प्यारी प्यारी है ये मेरे खेत की पगडण्डी।

आम अमरूद के मीठे फल तुम भूख लगे तो खा लेना,
थक जाओ तो पगडण्डी की घास पे थोड़ा सो लेना।
नर्म नर्म गद्दों सी है ये मेरे खेत की पगडण्डी,
कितनी प्यारी प्यारी है ये मेरे खेत की पगडण्डी।

           - इमरान खान ताइर . 

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