मंगलवार, 30 अक्तूबर 2012

सिर्फ कविता के लिए .



सिर्फ कविता के लिए यह जन्म, सिर्फ कविता के लिए

कुछ खेल, सिर्फ कविता के लिए बर्फ़ीली सांझ बेला में 

अकेले आकाश-पाताल पार कर आना, सिर्फ कविता के लिए

अपलक लावण्य की शान्ति एक झलक,

सिर्फ कविता के लिए नारी, सिर्फ

कविता के लिए इतना रक्तपात, मेघ में गंगा का निर्झर

सिर्फ कविता के लिए और बहुत दिन जीने की लालसा होती है

मनुष्य का इतना क्षोभमय जीवन, सिर्फ

कविता के लिए मैंने अमरत्व को तुच्छ माना है । 


मूल बांग्ला कविता : सुनील गंगोपाध्याय . 

हिन्दी अनुवाद : प्रियंकर पालीवाल .

श्री पालीवाल की दीवार से साभार.. 
मूल पोस्ट http://anahadnaad.wordpress.com/2006/11/17/sunilganguli-poem1/ 

1 टिप्पणी:

S.N SHUKLA ने कहा…

bahut sundar srijan, badhai.

कृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारने का कष्ट करें , आभारी होऊंगा.

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...