कविता
तुम कौन हो ?
सवाल हो;या जवाब हो ,
कोरी कल्पना का हिसाब हो ,
उम्मीद का महताब हो ,
कोई थाती , कोई किताब हो ...
शायद, कोई प्रेम कहानी हो
सुनी सपनों की जुबानी हो ,
धड़कन ,जो सुनानी हो ,
या तुम आँखों का पानी हो .
तुम शायद उम्मीद हो ,
और थोडा सा फलसफा ...
वो दर्द , वो जज्बात हो
जिस ने है मुझ को लिखा .
बहुत सोचा
बहुत पूछा
पर फिर भी तुम मौन हो !
कविता
तुम कौन हो ?
- स्कन्द .
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