सोमवार, 29 अक्तूबर 2012

कविता, तुम कौन हो ?


कविता 
तुम कौन हो ?

सवाल हो;या जवाब हो ,
कोरी कल्पना का हिसाब हो ,
उम्मीद का महताब हो ,
कोई थाती , कोई किताब हो ...

शायद, कोई प्रेम कहानी हो 
सुनी सपनों की जुबानी हो ,
धड़कन ,जो सुनानी हो ,
या तुम आँखों का पानी हो .

तुम शायद उम्मीद हो ,
और थोडा सा फलसफा ...
वो दर्द , वो जज्बात हो 
जिस ने है मुझ को लिखा .

बहुत सोचा 
बहुत पूछा 
पर फिर भी तुम मौन हो !

कविता 
तुम कौन हो ?

      - स्कन्द .

कोई टिप्पणी नहीं:

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...