बुधवार, 6 मार्च 2013

कसौटी

कुलच्छिनी / बाँझ
डायन
कलंकिनी

बार बार के आरोप
प्रत्यारोप

मत लगाओ / लांछन

मुझे
कसौटी पर तब उतारना
"प्रिय पुरुष"

जब तुम खोज लो
कोई और राह

स्वयं को "प्रसवित " करने की!
 - अमित आनंद .

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