| माँ कबीर की साखी जैसी तुलसी की चौपाई-सी माँ मीरा की पदावली-सी माँ है ललित रुबाई-सी।
माँ वेदों की मूल चेतना माँ गीता की वाणी-सी माँ त्रिपिटक के सिद्ध सूक्त-सी लोकोत्तर कल्याणी-सी।
माँ द्वारे की तुलसी जैसी माँ बरगद की छाया-सी माँ कविता की सहज वेदना महाकाव्य की काया-सी।
माँ अषाढ़ की पहली वर्षा सावन की पुरवाई-सी माँ बसंत की सुरभि सरीखी बगिया की अमराई-सी।
माँ यमुना की श्याम लहर-सी रेवा की गहराई-सी माँ गंगा की निर्मल धारा गोमुख की ऊँचाई-सी।
माँ ममता का मानसरोवर हिमगिरि सा विश्वास है माँ श्रद्धा की आदि शक्ति-सी काबा है कैलाश है।
माँ धरती की हरी दूब-सी माँ केशर की क्यारी है पूरी सृष्टि निछावर जिस पर माँ की छवि ही न्यारी है।
माँ धरती के धैर्य सरीखी माँ ममता की खान है माँ की उपमा केवल माँ है माँ सचमुच भगवान है।
-डॉ. जगदीश व्योम |
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