मंगलवार, 22 अप्रैल 2014

छोटी-सी दुनिया

यही जो छोटी-सी दुनिया हमें मिली है
सच है, सुन्दर है
और असह्य भी-
यही सम्हाले नहीं सम्हलती है
यही भरी है इतने हर्ष से, यही द्रवित है इतने विषाद से।

अपने बगल में टुकुर-टुकुर ताकती गिलहरी से
कहा फूल ने-
एक बुढ़िया अपनी गुदड़ी से निकालकर
एक तोता खाया फल अपनी नातिन को देते हुए
यही बोली।

छोटी सी है तितलियों और मधुमक्खियों की दुनिया,
छोटी सी दुनिया तोतों और बगुलों की,
आम और अमरुद की, इमलियों और बेरों की।

बड़ा सपना देखती
बड़ी सचाई को संक्षिप्त करती
सूरज और चाँद को
नक्षत्रों और अंतरिक्ष को
हथेली पर अक्षत की तरह
पवित्र रखती 
यही
छोटी-सी दुनिया 
हमें मिली है
सच है
सुन्दर है।

- अशोक वाजपेयी .

1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

Is ki summary hai kya

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