रंगों के इस इंद्रजाल में
मन का कागज़ कोरा है .
धुल जाते हैं रंग सभी .
या फीके पड़ जाते हैं .
चढ़ कर जो फिर उतरे ना
ऐसा कोई रंग कहाँ !!
रंग बदलती दुनिया में
कब रंग बदलते रंग नहीं ?
फिर जब ये ही होना है ,
तो कोरा ही रहने दो ;
सतरंगे जीवन धारे में
बिना रंगे ...
बहने दो .
जब तक कागज़ कोरा है
रंगों की गुंजाइश है .
भर जाएगा
फिर तो शायद
मटमैला हो जाएगा .
ऐसा कोई मलाल नहीं .
कोरा रह जाए कागज़
इतना भी बुरा ख़याल नहीं .
- मीता .
4 टिप्पणियां:
आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 08 -03 -2012 को यहाँ भी है
..रंग की तरंग में होली की शुभकामनायें .. नयी पुरानी हलचल में .
जब तक कागज़ कोरा है
रंगों की गुंजाइश है .
भर जाएगा
फिर तो शायद
मटमैला हो जाएगा .
gajab ke bhav...
sundarrachana..
holi ki dher sari shubh kamnaye....
संगीता जी हार्दिक आभार .
रीना जी आपका धन्यवाद .
होली की आप को भी हार्दिक शुभ कामनाएं .
आपका आभार !
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